Microsoft Build 2025: सत्या नडेला के भाषण के दौरान कर्मचारी का ‘फ्री फिलिस्तीन’ विरोध

Microsoft CEO Satya Nadella

यहाँ Microsoft Build 2025 में हुई घटना पर एक हिंदी ब्लॉग प्रस्तुत है:


Microsoft Build 2025: सत्या नडेला के भाषण के दौरान कर्मचारी का ‘फ्री फिलिस्तीन’ विरोध

 

19 मई 2025 को सिएटल में आयोजित Microsoft का बहुप्रतीक्षित डेवलपर सम्मेलन Build 2025 एक अप्रत्याशित मोड़ पर तब पहुंच गया जब कंपनी के ही एक कर्मचारी ने मंच पर आकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन केवल तकनीकी नहीं, बल्कि नैतिक और राजनीतिक मुद्दों से भी जुड़ा था। Microsoft Azure से जुड़े इस विरोध ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि टेक इंडस्ट्री केवल कोड और क्लाउड तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें अब वैश्विक मानवाधिकारों की भी गूंज सुनाई देने लगी है।


Microsoft CEO Satya Nadella
Microsoft CEO Satya Nadella

क्या हुआ था Build 2025 में?

Microsoft के CEO सत्या नडेला जब मंच पर अपनी मुख्य प्रस्तुति (keynote speech) दे रहे थे, तभी जो लोपेज़ नामक एक कर्मचारी ने उन्हें बीच में टोकते हुए जोर से चिल्लाया – Free Palestine। उन्होंने Microsoft पर आरोप लगाया कि कंपनी की क्लाउड सेवा Azure का उपयोग इज़राइली सेना द्वारा गाज़ा में की जा रही सैन्य कार्रवाइयों में किया जा रहा है।

लोपेज़ ने मंच से यह भी कहा कि Microsoft की सेवाएं फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ निगरानी और बमबारी में इस्तेमाल हो रही हैं, और उन्होंने सभा को बंद करने की मांग की ताकि “फिलिस्तीन के साथ एकजुटता” दिखाई जा सके।


विरोध के पीछे का कारण

Microsoft कर्मचारियों का एक समूह पिछले कुछ समय से No Azure for Apartheid नामक अभियान चला रहा है। इस अभियान का उद्देश्य यह है कि Microsoft इज़राइल की सेना को क्लाउड और एआई सेवाएं प्रदान करना बंद करे, क्योंकि इनका उपयोग कथित रूप से गाज़ा में नागरिकों की निगरानी और सैन्य टारगेटिंग में किया जा रहा है।

जो लोपेज़ ने अपने प्रदर्शन के बाद हजारों Microsoft कर्मचारियों को एक ईमेल भेजकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने लिखा:

“मैं यह नहीं देख सकता कि मेरी बनाई तकनीकें लोगों के उत्पीड़न में कैसे इस्तेमाल हो रही हैं और हम चुपचाप उसे अनदेखा कर दें।”


Microsoft की प्रतिक्रिया

Microsoft ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने आंतरिक और बाहरी जांच करवाई है, और उनकी तकनीक का किसी भी तरह से नागरिकों के खिलाफ दुरुपयोग नहीं हुआ है। कंपनी का कहना है कि वे सभी अनुबंधों में मानवीय मूल्यों का ध्यान रखते हैं।

हालाँकि, विरोध करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि Microsoft की ये सफाइयाँ “झूठी और अपारदर्शी” हैं। उनका तर्क है कि अगर Azure और AI टूल्स इज़राइली सेना के Ofek यूनिट को दिए गए हैं, तो यह सीधे तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन में Microsoft’s भागीदारी को दर्शाता है।


पहले भी हो चुके हैं ऐसे प्रदर्शन

यह पहली बार नहीं है जब Microsoft के अंदर से इस तरह का विरोध सामने आया हो। अप्रैल 2025 में भी कंपनी की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर दो कर्मचारियों ने सत्या नडेला और बिल गेट्स के सामने मंच पर विरोध प्रदर्शन किया था। उस समय भी विरोध का मुद्दा फिलिस्तीन में हो रही हिंसा और Microsoft की इसमें भूमिका को लेकर था। बाद में उन दोनों कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दिया गया।


टेक इंडस्ट्री में बढ़ता नैतिक असंतोष

Microsoft का यह मामला अकेला नहीं है। Google, Amazon, और Meta जैसी कंपनियों में भी कर्मचारियों द्वारा नैतिक मूल्यों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ये कर्मचारी अब केवल नौकरी नहीं कर रहे, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं।

आज के समय में जब तकनीक का उपयोग युद्ध, निगरानी और सैन्य अभियानों में हो रहा है, तब टेक कर्मचारियों की भूमिका केवल कोड लिखने तक सीमित नहीं रह गई है। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनकी बनाई तकनीकें शांति, मानवाधिकार और न्याय की ओर काम करें, न कि उसके विपरीत।


निष्कर्ष

Microsoft Build 2025 का यह विरोध प्रदर्शन केवल एक व्यक्ति की आवाज नहीं थी, बल्कि यह पूरे टेक वर्ल्ड के भीतर उठ रहे नैतिक प्रश्नों की गूंज थी। जो लोपेज़ और उनके जैसे अन्य कर्मचारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आज की टेक्नोलॉजी केवल ‘प्रोडक्ट’ नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी भी है।

अब सवाल यह है — क्या टेक कंपनियाँ अपने नैतिक दायित्वों को समझेंगी, या केवल व्यापारिक हितों के लिए चुप रहेंगी?


आपकी राय क्या है? क्या टेक कंपनियों को अपने क्लाइंट्स के नैतिक पहलुओं पर विचार करना चाहिए? नीचे कमेंट करके बताइए।

 

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